“जो हम-तुम मिले नहीं हैं”
आसान नहीं है, तुझपर कविता लिखना, कि जैसे , सागर को सरिता लिखना, मगर मैंने लिखा, उन सभी बातों को, जो मुझे तुझमे दिखा,, कि जो तेरे कजरारे नैन, जैसे अमावस की रैन, उसमे मुझे शायद किसी का इंतजार दिखा,, जो तुम्हारी पतली लकड़ी जैसी, काया से चिपकी, निहारना चाहती है, बस उन्हींको, तुम लड़की […]
“जो हम-तुम मिले नहीं हैं” Read More »