हर किसी की अपनी एक कहानी है,
की है हर कोई दीवाना यहां,
और हर कोई यहाँ दीवानी है,
हर किसी के ऊपर छायी जवानी है,
हर कोई लगा है,
किसी ना किसी के ध्यान में,
हम सब बैठे हैं,
प्रधौगिकी प्रशिक्षण संस्थान में,
आम के छावं में,
भरी दोपहरिया, गड़ा है शरिया,
और गड़ा है एक तिकोना खंभा,
जिसकी ऊँची है हाइट,और
जिसपर लगा है थियोड़ोलाइट,
की गई है पूरी तैयारी,
देख रहे हैं सब बारी-बारी,
गायब हैं मास्टर साहब,
क्योंकि काम है ये सरकारी,
कोई आम चूस रहा है,
कोई मूढ़ी फांक रहा है,
देखो वो गौतम अज्ञानी,
ना जाने क्या,
दुरमिल से झांक रहा है,,