हम भारत के युवा हैं,
मगर अब तक बेजुबाँ है,,
हमे ना अल्लाह चाहिए,
हम ना हिं राम चाहते हैं,
अपनी बेरोजगार हाथों के लिए,
हम तुमसे काम चाहते हैं,,
हम भारत के युवा है,
हमारी चाहत नवा-नवा है,
हमे ना गीता चाहिये,
ना हम कुरान चाहते हैं,
कह सके दिल की अपने बातो को,
इसके लिए आज़ाद जुबान चाहता हूं,,
हम भारत के युवा हैं,
ना हमे कोई तजुर्बा है,
हमे थोड़ी सी तजुर्बा चाहये,
सांस लेने को खुली हवा चाहते हैं,
हो गयी जाने कैसे नफरत की बीमारी,
बस थोड़ी सी मुहब्बत की दवा चाहते हैं,,
हम भारत के युवा हैं,
एक ठहरा हुआ कारवां हैं
चलने को कोई हमको मंजिल चाहिए,
की अपने जीवन का कुछ हासिल चाहते हैं,
किनारे पर हमने बहुत दिन गुजारा,
पार जाने को अब एक साहिल चाहते है,,