गौतम अज्ञानी

प्रेम-परीक्षा-परिणाम-1

बात हमारे कॉलेज के दिनों की है, जब मैंने बि.ए. में हिंदी प्रतिष्ठा के विद्यार्थी के रूप में दाखिला लिया था। सोनू हमारे विभाग का सबसे होनहार विद्यार्थी था। उसने अपनी लगन और मेहनत के दम पर पूरे कॉलेज में जल्द ही पहचान बना लिया। बात सिर्फ इतनी सी नही थी, सोनू पढ़ने में तो

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​◆हरिजन अब हरिजन नही रहे◆

जिस दबे कुचले पिछड़े लोगों को महात्मा गांधी ने हरिजन कहा था, अब वो हरिजन नही रहे। अब आप पूछेंगे की मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं, तो मैं ये पहले ही साफ कर देता हूं कि मेरी दलितों के प्रति कोई दुर्भावना नही है। ना ही मैं उनको मिलने वाली सरकारी सहूलियत अथवा आरक्षण

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प्रेम परीक्षा परिणाम-2

प्रेम परीक्षा परिणाम कहानी श्रृंखला की दूसरी कड़ी में हम बात करेंगे एक नए मित्र की, जिन्हें हायर सेकंडरी के दौरान प्रेम हो जाता है,और फिर कैसे प्रेम पथ पर चलते हुए पढ़ाई पीछे छूट जाती है। मैं, राजीव, सौरव(नाम परिवर्तित), विक्रम और मनोज हम पांच पकिया दोस्त हैं। सेकेंडरी ,हायर सेकंडरी, सब साथ में

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Poem in Hindi | ★ हिन्द के हिन्दू ★

Poem in Hindi हिन्द है हमारा,हम हिन्दू है,  बहता हुआ सिंधु हैं, की हमे मत रोको, मत बांधो, किसी यम, नियम में, असाध्य हूँ, मत साधो, चंद स्वार्थो के खातिर, हमको सिंधु सा बहने दो, हिन्दू को हिन्दू रहने दो,,आज जो तुम कह रहे हो, मेरा अल्लाह बड़ा, मेरा राम बड़ा तो सुनो विधर्मियो, ना

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तभी साथ चलिये,,

कठिन है डगर, और चढ़ाई बहुत है,, चढ़ने का है इरादा, तभी साथ चलिये,, कि,है हर तरफ नफरत का बोलबाला,, है मुहब्बत का वादा, तभी हमसे मिलिए,, कठिन है डगर……1है करना जो कुछ अभी कर ही लीजे, कही ऐसा ना हो जाए कि फिर हाथ मलिये,, समय कम है और काम बाकि बहुत है, करने

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बारूदी रात, रौशनी की बात,,

न करो कोई रौशनी की बात, ना कोई मशाल जलाओ,, की है ये बारूदी रात, ना कोई चिंगारी सुलगाओ,, ना करो कोई एकता की बात हंगामा हो जाएगा ना भीड़ जुटाओ, सभी अंधे है,क्या दिन क्या रात, सोने दो इन्हें ना कोई जगाओ,, की है ये बारूदी रात, ना कोई चिंगारी सुलगाओ,, ना करो कोई आजादी

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मैं कोई गांधी नही हूँ,

हवा हूं मैं,  मगर आँधी नही हूँ,, दुर्व्यवस्था से लड़ने वाला, मैं कोई गांधी नही हूँ, हवा ही तो हूँ  सो कोई रोकता नही है बहता चला जाता हूं  कोई टोकता नहीं है, दरख्तें राह दे देती हैं, समंदर थाह दे देती है,गर मैं होता कोई आँधी, दंभ भरता अपनी द्रुतगति का, उड़ा ले जाना

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दोस्त मेरा

वो सच्चा दोस्त मेरा मुझमे जो कमी ढूंढे है पूरा सूख चुका आँखों का जो ये दरिया वो सच्चा दोस्त मेरा,जो आँखों में नमी ढूंढे वो जो हर वक्त मेरा अपनों सा ख्याल रखे मेरे सारे यादो और वादों को दिल में जो संभाल रखे होके वेपरवाह कही उड़ता फिरूँ खा के धोखा अगर मैं गिरूँ

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जलने वाले लोग

​कौन कहता है, किसी को देख कोई जलता नही है, गर नही जलता है, तो उसमें तेल नहीं है, किसी को देख के जलना ये कोई खेल नहीं है, कुछ तो जलते हुए, बस जल जाते हैं, हो जाते हैं धुआँ-धुंआ राख में बदल जाते हैं और, कुछ ऐसे भी हैं, चाहें जैसे भी हैं,

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