देश है कोई गिरगिट नही है

ये भारत देश है,

भारत को भारत रहने दो,

बदलाव नही पसंद इसे,

की तुम इसे नही बदल पाओगे

करोगे जब भी कोशिस,

खुद को विफल पाओगे,

ढेर सारा रंग है इसमें 

तुम भगवा ना कर पाओगे,

बच्चा नही है जनतंत्र अब 

तुम अगवा ना कर पाओगे

ये जो तुम्हारा बदलाव का संकल्प है,

बताओ तो बदले में क्या विकल्प है,

कि बदल कर क्या बनाओगे,

कही इसे बदलते बदलते,

खुद तो बदल ना जाओगे,

की ये बहुतों का हिन्दोस्तां है,

तरह तरह के गुलो का गुलिस्तां है,

की खाली कमल नही पाओगे

तुम इसे बदल नही पाओगे,

की थी कोशिस बदलने की इसको,

गांधी ने, इंदिरा ने, राजीव ने,

हश्र तो मालूम ही होगा,

की आखिर क्या क्या बदलोगे,

तिरंगे के रंग को,

जीने के ढंग को,

बंजर जमीन को,

या सूखे सरंग को,

मन के उमंग को,

छिड़ चुके जंग को,

की ये इतना आसान नही है,

ये कोई मोदी दुकान नही है,

की गहरा है इसमें  प्रेम का रंग

भले अलग है हमारे जीने का ढंग

कितना भी तुम नाच लो नंगा,

नही बदलेगा मगर रंगे तिरंगा,

कि, अभी भी वक्त है प्यारे संभल ले,

ये देश है मेरा, कोई गिरगिट नही,

की पल भर में अपना रंग  बदल ले,