najar samandar

Poem In hindi | नज़र-समंदर

इन मस्त निगाहों को देख,

चाहता है ये दिल

की लिखूं कोई कविता

कहूँ कोई गज़ल

करू कोई शायरी

मन जाता है मचल

मगर, ऐ दिल संभल

ना हो तू यूँ विकल

ये कोई साधारण आँखे नही

एक गहरा समंदर है

मत उतर, की तुझे

 तैरना नहीं आता

बड़ा खतरा इसके अंदर है

नजरें ना मिला

की नजर लग जाएगी

फिर तेरी नजर 

नही देख पाएगी कोई सुंदर नजारा

तू जाएगा बेमौत मारा

नींद आखों की छिन जाएगी

दाना-पानी नही भाएगी

तेरी जिंदगी यूँ ही व्यर्थ जाएगी