रेल गाड़ी जिसमे मैं सफर कर रहा था, अपनी पूरी रफ्तार में रात के अंधेरी सन्नाटे को चीरती हुई आगे बढ़ रही थी। रात के 2 बज रहे थे, और सभी यात्री ब्रह्मनिंद में लीन थे। सुपर फास्ट ट्रेन थी सो हावड़ा से खुलने के बाद सीधे आसनसोल आकर रुकी,और अब अपने अगले स्टॉपेज के तरफ तीव्रता से बढ़ रही थी। लेकिन ये क्या! ये एक छोटे से होल्ट पर आ रुकी । ट्रेन अगले पांच मिनट तक रुकी, इस दौरान एक ट्रेन अत्यंत तीव्र गति से हमारे ट्रेन को क्रॉस कर बढ़ गई। हमारी ट्रेन शायद इसे ही पास देने के खातिर रुकी थी।
उसके बाद हमारी ट्रेन खुली,और इससे पहले की ट्रेन गति पकड़ती , एक सख्स अंदर घुसा और वहीं टॉयलेट के पास बैठ गया। बोगी के उस छोड़ पर वो और इस छोड़ पर मैं था ।
मैं अपने सीट पर से उसे गली के उस तरफ साफ देख सकता था। उसके पास कोई सामान नही था, जिससे मुझे उसपर थोड़ा संशय हुआ, और मैं उस ओर ही देखने लगा। उसके चोर या लुटेरे होने के आशंका से मैं सो नही सका, लेकिन मेरे अलावा डिब्बे के सभी यात्री गहरी नींद में सो रहे थे। जब ट्रेन ने फिर अपनी रफ्तार पकड़ी तो पटरियों के गड़गड़ाहट मेरे मन के घबराहट को बढ़ाने लगी।
किसी अनहोनी की आशंका के कारण मैं उसकी तरफ ही देख रहा था। तभी अचानक वो उठ खड़ा हुआ, और हाथ में कुछ लिए हुए सभी बर्थ में एक एक कर घुसने लगा, मैं कुछ समझ पाता वह सारा काम निपटा कर मेरे बर्थ के पास पहुँच चुका था। उसने मुझपर छुरे से वार किया, चुकी मैं जगा हुआ था, तो मैंने अपना बचाव किया और उसपर झपटा और सीधे उसपर कूद गया। मैंने उससे छुरा छीन लिया और उसपर वार कर दिया, जिससे वह वहीं ढेर हो गया। मैं हाथ मे छुरा लिए उस ओर बढ़ा, पर उसने सबका काम तमाम कर दिया था। अब मैं अपने हाथ के छुरा और उस सख्स के ओर देख रहा था।
हाय! ये क्या हो गया, मैं सर पकड़ बैठ गया, तभी टीसी दो सुरक्षा गार्ड को के साथ आया और अब मैं यहाँ जेल में बंद हूँ। मैं उस डब्बे के अस्सी यात्रियों का कातिल हूँ।,
उसने कहा, और मेरा इंटरव्यू समाप्त हुआ। कारागार परिसर से बाहर निकलने के बाद मेरे मन मे अजीब सा भय व्याप्त हो गया है। अब शायद मैं ट्रेन से यात्रा ना करूं।
One of the unique story I have read. Your writing is very unique man.