वो सच्चा दोस्त मेरा
मुझमे जो कमी ढूंढे
है पूरा सूख चुका
आँखों का जो ये दरिया
वो सच्चा दोस्त मेरा,जो
आँखों में नमी ढूंढे
वो जो हर वक्त मेरा
अपनों सा ख्याल रखे
मेरे सारे यादो और वादों को
दिल में जो संभाल रखे
होके वेपरवाह कही उड़ता फिरूँ
खा के धोखा अगर मैं गिरूँ
मेरे वास्ते वो जमीं ढूंढे
वो सच्चा दोस्त मेरा
मुझमे जो कमी ढूंढे
हो जाऊ दूर ,कहीं खो जाऊ
भूलूं जो राह, लौट ना पाऊँ
फिर भी हर दोस्त मुझे याद रहे
दुआ है, हर कोई आबाद रहे
और मेरे वास्ते फिर से
ढूंढे घर अपना,अपनी सरजमी ढूंढे
वो सच्चा दोस्त मेरा
मुझमे जो कमी ढूंढे…●