कलेजा फट रहा मेरा,
कि,है ये दिल मेरा रुआंसा,
है भीतर जल रही ज्वाला,
कि दिल मे उठ रहा धुंआ सा,
नहीं}कुछ सूझ रहा हमको,
हर तरफ धुंध और कुहासा,
जो उनसे था लगा रक्खा,
हो गयी धूमिल सब आशा ,
किसीने सच कहा है ये,
की सचमुच इश्क नहीं आसां,,
मैं उनके प्यार में था पागल
है मेरा बन गया तमाशा,
था उनका मधु पर मलिकाना
वो मुझको छोड़ गई प्यासा,
जो वो मुँह मोड़ गयी हमसे,
ना देखा मुड़ के भी जरा सा,
दे कर के मुझे दिलासा,
वो दे गई है मुझे झांसा,
किसीने सच कहा है ये,
कि सचमुच इश्क नहीं आसां,,
मैंने हर बात कही उनसे,
कुछ उसने किया ना खुलासा,
छोड़ कर चली गयी हमको,
मैं देखता रह गया ठगा सा
किसीने सच कहा है ये
कि सचमुच इश्क नहीं आसां