कविता

POEM IN HINDI

​Poem in Hindi- ”डिओडोरेंट”

आजकल हर कोई  फूल हो गया है, सभी रंग बिरंगे, चटकदार, खुशबूदार, और मैं कांटा ही रह गयामैं इसी गम में हूँ जैसे किसी भ्रम में हूँ कि सब फूल हो गए और मैं कांटा ही रह गयालेकिन नही, सच में ये मेरा भ्रम ही था, गौर से देखा तो पाया कि, कांटो ने डियोडोरेंट […]

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Poem in Hindi- “खटिया की अड़ांच”

बहुत दिनों तक भार सहते, जब खटिया लधक जाती है, उसमे बन जाता है कोटर किसी घोसले के जैसे धोकरी और उस लधके हुए कोटर में बैठना हो जाता है मुश्किल तब अड़ांच की रस्सियां खीचकर कसी जाती है, खटिया के धोकरे लेकिन आज जब मैंने, कसना चाहा लधके हुए खटिये का अड़ांच तो दादी

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Poem in hindi – दोस्त

हां, दोस्ती खूबसूरत है, मगर मुझे तो दुश्मन की जरूरत है, क्योंकि जब भी दोस्तों के संग रहा मन में बहुत उमंग रहा मन हरदम मस्त मलंग रहा जैसे उड़ता पतंग रहा मगर होता रहा कमजोर हरपल ज्यों बेढंग रहा ना कि कभी कोई परवाह हर वक्त रहा बेपरवाह दोस्तो संग कभी कोई कमी महसूस

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Poem in hindi

Poem in hindi – मतलब के यार

सब मतलब के यार हुए हैं, ज्यों कोई पतवार हुए हैं, जब किसी नाव पर चढ़ते है, आगे को जब वो बढ़ते हैं पानी को पीछे ठेलते है जज्बातों से खेलते हैं, ऐसे ही वे पार हुए हैं, सब मतलब के यार हुए हैं ज्यों कोई पतवार हुए हैं।१। जब वो पानी पर तिरते हैं

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Poem in hindi -हवाई-सर्वेक्षण

हर साल ऐसा होता हैकि, जब बाढ़ आती हैहम पानी में होते हैंवो हवा में होता है, वे हवा से फेंकते हैं पैकेटजैसे कोई फेकता है कुत्ते को रोटियांजिसे लूटने को छिलती हैं बोटियाँऐसे ही चलता है सत्ता का सेक्स रैकेट इस असहाय हालत में हम रोते भी नहीं हैं,कि कहीं हमारे आँशुओ सेबढ़ ना

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Poem in hindi -गुलदास्तान

हमने एक भी गुल ना तोड़ा,बना दिये फिर भी गुलदस्तेइसके फूल ना मुर्झाएँगेसदा मिलेंगे तुमको हस्ते कहोगे तुम खुशबू तो नही हैमैं कहता है सदाबहारखुशबू ही सबकुछ तो नही हैसुंदरता भी है साकार सुंदरता भी रहे सहेजेबागों में भी रहे बाहरबिना एक भी गुल को तोड़ेमेरा गुलदस्ता तैयार सस्ता और टिकाऊ हैखरीदो सभी बिकाऊ हैतुम

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Poem in hindi-उनकी याद

रात हर रोज आती है,  ना हमको नींद है आती आग हर रोज है लगती  पर मैं क्यों जल नही जाता,याद तो पल पल  करता हूँ खुद को भी भूल जाता हूँ राह मालूम है घर मालूम मगर क्यों चल नही पातामैं हँसता हूँ, मैं रोता हूँ मैं गाता- मुस्कुराता हूँ मैं जलता दोपहर सा

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