गौतम अज्ञानी

सिपाही: कलम और बन्दुक

मैं सिपाही एक बदनाम राही, की मै चलता हूँ जिसपे नही है कोई राह मौत के दर्द की आह  किसी एक सिपाही का बदनाम राही का की जिसपर तानी थी बन्दुक  पहली बार छुटी गोली ,निकली हूक… था वो दुशमन जबतक जिन्दा था पर मार गिराने के बाद ये मन न जाने क्यों शर्मिंदा था […]

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देश है कोई गिरगिट नही है

ये भारत देश है, भारत को भारत रहने दो, बदलाव नही पसंद इसे, की तुम इसे नही बदल पाओगे करोगे जब भी कोशिस, खुद को विफल पाओगे, ढेर सारा रंग है इसमें  तुम भगवा ना कर पाओगे, बच्चा नही है जनतंत्र अब  तुम अगवा ना कर पाओगे ये जो तुम्हारा बदलाव का संकल्प है, बताओ

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​कुलभूषण और कसाब

खबर है पाकिस्तान एक भारतिय नागरिक , जिसके बारे में उसका दावा है कि वो रॉ का जासूस है और पाकिस्तानी पुलिस ने उसे जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है, को फांसी की सजा सुनाई गई है। उसे ये सजा पाक के विधि न्यायालय ने नही वरन सैन्य अदालत मे कोर्ट मार्शल के

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भूषण

जीवन परिचयकविवर भूषण का जीवन विवरण अभी तक संदिग्धावस्था में ही है। उनके जन्म मृत्यु, परिवार आदि के विषय में कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार भूषण का जन्म संवत 1670 तदनुसार ईस्वी 1613 में हुआ। उनका जन्म स्थान कानपुर जिले में तिकवांपुर नाम का ग्राम बताया

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सूरदास

जीवन परिचयहिन्ढी साहित्य में कृष्ण-भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। उनका जन्म १४७८ ईस्वी में मथुरा आगरा मार्ग के किनारे स्थित रुनकता नामक गांव में हुआ। सूरदास के पिता रामदास गायक थे। सूरदास के जन्मांध होने के विषया में मतभेद है। प्रारंभ में सूरदास

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“सचमुच इश्क नहीं आसां”

कलेजा फट रहा मेरा,कि,है ये दिल मेरा रुआंसा, है भीतर जल रही ज्वाला, कि दिल मे उठ रहा धुंआ सा, नहीं}कुछ सूझ रहा हमको, हर तरफ धुंध और कुहासा, जो उनसे था लगा रक्खा, हो गयी धूमिल सब आशा , किसीने सच कहा है ये, की सचमुच इश्क नहीं आसां,,मैं उनके प्यार में था पागल

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“दोस्तो के खातिर”

अंधा हो गया हूं, जबसे दोस्ती की है, दुश्मनी थी  तो पारखी हुआ करता था,लंगड़ा हो गया हूं, जबसे दोस्ती कि है, दुश्मनी थी तो मै तेज भागा करता था,बहरा हो गया हूं, जबसे दोस्ती की है, दुश्मनी थी  तो सब कुछ सुना करता था,पागल हो गया हूं, जबसे दोस्ती की है, दुश्मनी थी, तो

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“जो हम-तुम मिले नहीं हैं”

आसान नहीं है, तुझपर कविता लिखना,  कि जैसे , सागर को सरिता लिखना, मगर मैंने लिखा, उन सभी बातों को, जो मुझे तुझमे दिखा,, कि जो तेरे कजरारे नैन, जैसे अमावस की रैन, उसमे मुझे शायद  किसी का इंतजार दिखा,, जो तुम्हारी पतली लकड़ी जैसी, काया से चिपकी, निहारना चाहती है, बस उन्हींको, तुम लड़की

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“हम भारत के युवा हैं,”

हम भारत के युवा हैं, मगर अब तक बेजुबाँ है,, हमे ना अल्लाह चाहिए, हम ना हिं राम चाहते हैं, अपनी बेरोजगार हाथों के लिए, हम तुमसे काम चाहते हैं,,हम भारत के युवा है, हमारी चाहत नवा-नवा है, हमे ना गीता चाहिये, ना हम कुरान चाहते हैं, कह सके दिल की अपने बातो को, इसके

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थियोड़ो-लाइट

हर किसी की अपनी एक कहानी है, की है हर कोई दीवाना यहां, और हर कोई यहाँ दीवानी है, हर किसी के ऊपर छायी जवानी है, हर कोई लगा है,  किसी ना किसी के ध्यान में, हम सब बैठे हैं, प्रधौगिकी प्रशिक्षण संस्थान में, आम के छावं में, भरी दोपहरिया, गड़ा है शरिया, और गड़ा

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