कठिन है डगर, और चढ़ाई बहुत है,,
चढ़ने का है इरादा, तभी साथ चलिये,,
कि,है हर तरफ नफरत का बोलबाला,,
है मुहब्बत का वादा, तभी हमसे मिलिए,,
कठिन है डगर……1
है करना जो कुछ अभी कर ही लीजे,
कही ऐसा ना हो जाए कि फिर हाथ मलिये,,
समय कम है और काम बाकि बहुत है,
करने का इरादा है तभी साथ चलिये,,
कठिन है डगर……2
माना तेरी मंजिल जो दूर बहुत है,
थक कर ना बैठ अभी से,
अगर अँधेरा बहुत है, घबड़ाना मत,कि, तुझमे बाकि अभी नूर बहुत है,,
तू खुद है एक मशाल मगर,,
जलने का इरादा तभी साथ चलिये,
कठिन है डगर……….3
अगर चाहते हो उदय अपना,
चाहते हो रौशन जहां को करना,,
चाहते जो हो गांधी बनना,
रखो याद, की ये गोडसे का दौर है,
अबकी बात ही कुछ और है,
पड़ेगा तुम्हे दीपक सा जलना,
जलने का है इरादा तभी साथ चलिये,,
कठिन है डगर……4