मैं ता हूँ इश्का दा मारा,
धुंआ धुंआ हुआ जीवन सारा,
जीवन मे होया अंधियारा
बुरा फंसा मैं तो बेचारा
इश्क में आशिक अंधा है,
ये इश्क़ तो गोरखधंधा है।1।
आशिक कहता है
इश्क तो कमाल है जी
मैं तो कहता हूँ
फांसने का जाल है जी
ना पड़ो इश्के चक्कर में
होता बुरा हाल है जी
ये फांसी का फंदा है
ये इश्क तो गोरखधंधा है।2।
तुम इश्क में मारे जाओगे
सारी बाजी हारे जाओगे
लूट जाएगी तन-मन-धन सब
कुछ भी पास ना पाओगे
ये तो बस लूट का धंधा है
ये इश्क तो गोरखधंधा है।3।