सब मतलब के यार हुए हैं,
ज्यों कोई पतवार हुए हैं,
जब किसी नाव पर चढ़ते है,
आगे को जब वो बढ़ते हैं
पानी को पीछे ठेलते है
जज्बातों से खेलते हैं,
ऐसे ही वे पार हुए हैं,
सब मतलब के यार हुए हैं
ज्यों कोई पतवार हुए हैं।१।
जब वो पानी पर तिरते हैं
पतवारें पानी चीरते हैं
उन्होंने बस है बढ़ना सीखा
जल का दर्द कहाँ है देखा
पानी पानी हुआ है पानी
उसने तो बस पानी देखा
पानी अब मझधार हुए हैं
सब मतलब के यार हुए हैं
ज्यों कोई पतवार हुए हैं…२
सभी नशे में झूम रहे हैं,
आगे पीछे घूम रहे हैं
पाने को कुछ दाना पानी
सभी हुए हैं पानी पानी
आखिर सबकी यही काहानी
चारो तरफ है पानी पानी
पर आखों में ना है पानी
तो बोलो फिर क्या है पानी
सब पानी बेकार हुए हैं
सब मतलब के यार हुए हैं
ज्यों कोई पतवार हुए हैं।३।
ऊपर पानी नीचे पानी
बाहर पानी भीतर पानी
बूढा पानी बच्चा पानी
पानी पानी हुई जवानी
जीवन पानी, मृत्यु पानी
अब समझे कि क्या है पानी
पानी से संसार हुआ है
सब मतलब के यार हुए हैं
ज्यों कोई पतवार हुए हैं।४।
Baht achha bhai ..