न करो कोई रौशनी की बात,
ना कोई मशाल जलाओ,,
की है ये बारूदी रात,
ना कोई चिंगारी सुलगाओ,,
ना करो कोई एकता की बात
हंगामा हो जाएगा ना भीड़ जुटाओ,
सभी अंधे है,क्या दिन क्या रात,
सोने दो इन्हें ना कोई जगाओ,,
की है ये बारूदी रात,
ना कोई चिंगारी सुलगाओ,,
ना करो कोई आजादी की बात,
इन्हें पसंद नहीं है आजादी,
की जो हैं दीवाने आजादी,
इनकी नजरो में हैं जेहादी,,
बहरे हैं, ना कोई अलख जगाओ
कि है ये बारूदी रात,
ना कोई चिंगारी सुलगाओ,,