अरे ओ बदलाव के वाहक,
खेल रहे जो अदले-बदले,
छन भर में बदल जाते हो ऐसे,
की जैसे, गिरगिट अपना रंग बदले,
बदलाव की इस कड़ी में,
तुमने अपना निजाम बदले,
ओ बदलाव के वाहक,
क्या मिला तुम्हे इसके बदले?
क्या निजाम के काम बदले ?
नही! उसने केवल नाम बदले,
मुल्लो के अल्लाह बदले,
हिन्दुओ के राम बदले,
पर क्या ताम औ झाम बदले?
क्या पुराने माल बदले?
किसानों के हाल बदले?
फांसने के जाल बदले, ?
मर रहे अब भी जवाने,
हो चुकी जर्जर कवच भी,
पर क्या उनके ढाल बदले?
क्या हुकम की चाल बदले?
सत्ता ने बस खाल बदले,
ओ बदलाव के वाहक,
क्या तुम्हारे हाल बदले?
हो गए किसान नंगा,
खो गया है उनका अंगा,
होगी फिर एक भीषण दंगा,
सुनो सत्ता ने सुर हैं बदले,
अब उन्होंने ताल बदले,
ओ बदलाव के वाहक,
पर क्या तेरे हाल बदले?
क्या कोई हालात बदले,
बस उन्होंने बात बदले
तुम बस खेलो अदले-बदले।।