desh bhakti

Poem in Hindi | “सच्ची देश-भक्ति”

मैं कहता हूं मत छेड़ो इतिहास

अगर बढ़ना है आगे, तो

मत देखो पीछे बार-बार

तुम भी जानते हो तुम क्या थे

हम भी जानते हैं हम क्या थे

क्या बचा है अपने पास

सिवाय ढहते खंडहरों के

उन भयानक यादों के बवंडरों के

जो खो गया उन बवंडरों में

क्या उसे फिर पा सकते हैं

जो डूब गया समन्दरों में

क्या वो साहिल वापस आ सकते हैं

नही! 

और अगर नहीं,

तो हम क्योंकर

उसमे अपना सर खपाएँ

अच्छा नही हो कि, हम

प्रगति पथ पर बढ़ते जाएं

सुंदर अपना देश सजाए

तृप्त करें और तृप्ति पायें

देश पर अपना जीवन वारें

जो कुछ बचा है उसे सवारें

बिगड़े सब हालात सुधारें

तब चमकेंगे भाग्य सितारे

तब खुश होंगे अल्ला प्यारे

तब रिझेंगे राम हमारे

तभी व्व देंगे तुमको शक्ति

यही तो है सच्ची देशभक्ति।