बहुत दिनों तक भार सहते,
जब खटिया लधक जाती है,
उसमे बन जाता है कोटर
किसी घोसले के जैसे धोकरी
और उस लधके हुए कोटर में
बैठना हो जाता है मुश्किल
तब अड़ांच की रस्सियां खीचकर
कसी जाती है, खटिया के धोकरे
लेकिन आज जब मैंने, कसना चाहा
लधके हुए खटिये का अड़ांच
तो दादी ने टोका, कसने से रोका
जो पूछा रोकने की वजह,
बोली, ऐसा करने से जल्दी बेटा नही होता
खाली बेटी ही जन्मेगी
फिर मैं रुका नहीं, क्योंकि
मुझे तो बेटियां पसंद है।