वह सुरुआत से मनचला नहीं था, जब हम गांव में ही पढ़ा करते थे। मैंने सातवी कक्षा तक गांव में ही पढ़ाई की है, बाद में गांव के बिगड़ते हालात मसलन मेरे उम्र के अधिकतर लड़को का नशेड़ी हो जाना, और मेरा भी उन सबके जैसा हो जाने के डर से पिताजी हमें कोलकाता लिवा लाये।
रवि नाम था उसका, लेकिन वह मौसम के नाम से जाना जाता था। ठेठी में मोसमा बुलाया जाता था। दुबला पतला शरीर, गाढ़ा श्यामल रंग चेहरे पर भी कोई खास आकर्षण नही था। लेकिन एक कला बेजोड़ था उसमें, किसीसी को कुछ बोलना हो तो वह डरता नहीं था। अगर चैलेंज कर दिया तो मास्टर को भी गरिया लेगा।
उसकी इस खूबी या फिर खामी का उसे खूब लाभ मिला। हम जैसे लड़के जहाँ लड़कियों से काम की बात करने से भी कतराते थे, लेकिन वह तो अपने कुछ भी बोलने की कला से कितनों का काम बना चुका था। वो ये अच्छी तरह से जानता था कि लड़कियों के भी मन करते हैं, पर वो आगे बढ़ कर कभी कह नहीं पाती। उसने इस बात का भरपूर लाभ उठाया।
एक बार ऐसा ही कुछ करते हुए पकड़ा गया, लड़की बड़े घर की थी सो बात दबा दी गई, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने उसे स्कूल से निकाल दिया। इसीके साथ हमलोग का संपर्क उससे टूट गया।
इस घटना के बाद वह गावं के लिये खतरा बन गया, कई लड़कियों के साथ उसके नाम जुड़े। छड़की पर उसका अड्डा था, गांव के बड़े बुजुर्ग उसे तुरुक का बच्चा कहते थे। उसकी आदतों के वजह से, चुकी उसके घर मे भी दो-दो जवान बहने थी, माँ बाप ने भी उससे संबंध तोड़ लिये थे। उसकी शिकायत से तंग आकर, बाप ने कहा दिया था कि अगर वो कुछ भी गलत करता है तो आपलोग को जो भी करना है, उसके साथ कीजिए मेरे पास मत आइये।
इसबार जब गांव जाना हुआ तो पता चला, उसे बहुत मार पड़ी है। कारण यह था कि इसबार उसने गांव के चौकीदार के बेटी पर हाथ डाला था। रंगेहाथ पकड़ा गया, खूब धुनाई हुई और अब वो हॉस्पिटल में भर्ती था।
मुझे आश्चर्य हो रहा था कि इतना सब कुछ हो गया, लोग उसके बारे में सब जानते थे कि वो लाफुआ है। कई लड़कियों के साथ सम्बंध बनाते पकड़ा गया, फिर भी लोगो ने उसे पुलिस के हवाले क्यों नहीं किया। अव्वल तो उसके खिलाफ एक रिपोर्ट तक नही दर्ज कराई गई। उनलोगों को शायद बदनामी का डर था।
फिर मुझे उसकी कही एक बात याद आ रही थी, कि ” सुई जबतक स्थिर ना हो उसमें धागा नहीं डाला जा सकता है। गलती सिर्फ मेरी ही नहीं है, ताली एक हाथ से नही बजती। ”
शायद गावं के सभी लड़कियों के कम उम्र में ही ससुराल बसने के पीछे वो भी एक कारण था। लेकिन ऐसे मनचलो की कमी नहीं है, देखते है उन्हें ढूंढ कर कबतक हॉस्पिटल में भर्ती करते हैं, या की वे कानून की मदद लेंगे।