हमने एक भी गुल ना तोड़ा,
बना दिये फिर भी गुलदस्ते
इसके फूल ना मुर्झाएँगे
सदा मिलेंगे तुमको हस्ते
कहोगे तुम खुशबू तो नही है
मैं कहता है सदाबहार
खुशबू ही सबकुछ तो नही है
सुंदरता भी है साकार
सुंदरता भी रहे सहेजे
बागों में भी रहे बाहर
बिना एक भी गुल को तोड़े
मेरा गुलदस्ता तैयार
सस्ता और टिकाऊ है
खरीदो सभी बिकाऊ है
तुम जो कहो ये पूंजीवाद है
तो फिर क्यों है हाट बाजार…!
#गुलदास्तान